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केंद्र सरकार (Government of India) ब्रॉडबैंड सेवाएं सस्ती करने से जुड़ा बड़ा कदम उठा सकती है. सरकार फिक्स्ड-लाइन ब्रॉडबैंड सर्विसेज के लिए लाइसेंस फीस घटाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे इंटरनेट सर्विसेज की पहुंच बढ़ेगी और यह सस्ते दामों पर लोगों को उपलब्ध होगी.
सरकार उठा सकती है बड़ा कदम- मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, नए प्रस्ताव के अनुसार, फिक्स्ड-लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं पर कथित एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के तहत वसूली जाने वाली लाइसेंस फीस को घटाकर 1 रुपये प्रति वर्ष तक लाया जा सकता है. इसको लेकर अभी एजीआर के 8 फीसदी की दर से लाइसेंस फीस को कैलकुलेट किया जाता है. एक अनुमान के अनुसार, यह सालाना 880 करोड़ रुपये आता है.
कब तक मिलेगी राहत- इस प्रस्ताव पर संबंधित मंत्रालयों से विचार साझा करने के लिए कहा गया है. इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. बड़े कॉरपोरेशन और व्यापारी प्रतिष्ठानों सहित कमर्शियल यूजरों को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं में कोई बदलाव नहीं होगा.
रेवेन्यू में 10 फीसदी की ग्रोथ मान लें तो सरकार को इस कदम से पांच साल में 59.27 अरब रुपये का नुकसान होगा. लेकिन, रोजगार के अवसर बनने के साथ डिजिटल पहुंच बढ़ने से जो फायदा होगा, वह इस नुकसान से कहीं ज्यादा होगा.
कोविड-19 महामारी के चलते वर्क फ्रॉम का ट्रेंड बढ़ा है. प्रस्ताव में इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की 2019 की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है. यह कहती है कि फिक्स्ड लाइन की पहुंच में 10 फीसदी का इजाफा होने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.
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