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Amazon, Google जैसी कंपनियों को अब भारत में कड़े कानूनों का सामना करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार ग्लोबल टेक कंपनियों के एकाधिकार को कम करने पर काम कर रही है। भारत की लेटेस्ट ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्राफ्ट में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो लोकल स्टार्टअप्स को मदद करती है। सरकार पिछले दो साल से इस नई पॉलिसी पर काम कर रही है। नई पॉलिसी के जरिए केंद्र सरकार भारत में ग्लोबल टेक कंपनियों जैसे Amazon, गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet और Facebook के मार्केट में प्रभाव को कम करती है।
NDTV ने ब्लूमबर्ग के हवाले से बताया है कि इस ड्राफ्ट के 15 पेज के मुताबिक सरकार ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को कॉम्पेटिव बनाने के लिए रेगूलेटर को अपॉइन्ट करने पर विचार कर रही है। यह पॉलिसी के मिनिस्ट्री ऑफर कॉमर्स के प्रमोशनल इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड डिपार्टमेंट ने तैयार किया है। इस पॉलिसी के ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ऑनलाइन कंपनियों के सोर्स कोड और एल्गोरिद्म भी मांगेगी। इसकी मदद से सरकार डिजिटल पूर्वाग्रहों को मैनेज करने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने सभी स्टेकहोल्डर्स से इस पॉलिसी पर अपने विचार भी मांगे हैं। नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में कहा गया है कि कुछ प्रमुख कंपनियों की इंफॉर्मेशन पर नियंत्रण करने की प्रवृत्ति है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह भारतीय उपभोक्ताओं और लोकल इको सिस्टम के लिए अच्छा है कि इसमें बहुत सारे सर्विस प्रोवाइडर हैं। लेकिन नेटवर्क और डिजिटल प्रभाव के चलते कुछ प्रमुख कंपनियों की मार्केट में एकाधिकार है और वह इसका दुरुपयोग करते हैं।
इसके साथ ही नई ड्राफ्ट पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्राहकों को सेल की डिलेट के साथ, उनका फोन नंबरस कस्टमर कंप्लेट कॉन्टेक्ट, ईमेल और पता भी मुहैया करवाना होगा। इसके साथ ही आयात किए गए सामने पर जिस देश से आ रहा है उसका नाम साफ साफ बताया होगा। इसके साथ ही देश में काम कर रही विदेशी स्ट्रीमिंग कंपनियों को पेमेंट के लिए आवश्यक रूप से औपचारिक और रेगूलेटेड पेमेंट चैनल का इस्तेमाल करना होगा।

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