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कुछ कंपनियां भारतीय नागरिकों के गैर निजी डाटा का अपने व्यावसाय के लिए इस्तेमाल करती हैं। इस दौरान यह कंपनियां उनकी निजता का ख्याल रखते हुए उनके नाम हटाकर किसी अन्य नाम से उनका डाटा इस्तेमाल करती हैं। इसे देखते हुए सरकार द्वारा एक विशेष समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में डाटा व्यवसाय के लिए केंद्रीकृत नियमों के लिए डाटा नियामक की जरूरत बताई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डाटा नियामक की स्थापना कर कंपनियों को गैर निजी डाटा संग्रह करने के तरीकों को सार्वजनिक करने को कहना चाहिए। इनमें फेसबुक, गूगल, अमेजन, उबेर टेक्नोलॉजी और एल्फाबेट जैसी कंपनियां शामिल हैं। पैनल में शामिल आठ लोगों ने 72 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह नियमों का पालन करें और सही इस्तेमाल के लिए ही डेटा प्रदान करें।
रिपोर्ट में नियामक को कानूनी रूप से शक्ति संपन्न बनाने की सिफारिश की गई है। ताकि उसकी निगरानी की जा सके। जानकारी के मुताबिक इस रिपोर्ट को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सौंपा जाना है। बता दें कि पैनल के मुताबिक डाटा संग्रह करने वाली कंपनियों को डाटा व्यवसायी के तौर पर भारत में पंजीकरण करना होगा। यही नहीं इन कंपनियों को सरकारी एजेंसियों को भी बताना होगा कि वह किस तरह का डाटा संग्रह करती हैं और उसका किस तरह से उपयोग करती हैं।
मालू्म हो कि दुनियाभर के देश अपनी सीमाओं के भीतर डाटा सुरक्षा को मजबूत करते हैं। वहीं भारत भी अपनी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को नियंत्रण करने वाली नीतियों का मसौदा तैयार करने और उन्हें सुद्दढ़ करने के लिए आगे बढ़ रहा है। वहीं पहले से ही व्यक्तिगत डाटा को नियंत्रित करने के लिए एक बिल है। पैनल ने इस रिपोर्ट में कानून के माध्यम से गैर व्यक्तिगत डाटा नियामक को भी जोड़ने की सिफारिश की गई है।
गैर व्यक्तिगत डेटा से तात्पर्य उस सूचना से है जिसमें कोई विवरण शामिल नहीं है। जैसे कि नाम, आयु या पता जो किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसके बाद कई कंपनियां मनमानी नहीं कर पाएंगी।

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