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पिछले कुछ महीनों में चीनी मोबाइल कंपनियों और ब्रांड्स के प्रति भारतीयों का नज़रिया बदला है। कोई भी नया स्मार्टफोन खरीदते वक्त इंडियन यूजर्स की कोशिश रहती है कि वह चाइनीज ब्रांड का फोन न लें। हालांकि भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों का बोलबाला है और ऐसे में गैर-चीनी ब्रांड्स के तौर पर ऑप्शन्स कम ही मिल पा रहे हैं। Xiaomi, Oppo, Vivo, Realme और OnePlus जैसे हिट चीनी ब्रांड्स के सामने Samsung, Apple और Nokia जैसे चुनिंदा कंपनियां ही है जिनमें इंडियन्स नई उम्मीद तालाश रहे हैं। बायकॉट चाइना का लाभ Samsung को तो मिल रहा है लेकिन Nokia से लोग अभी भी दूरी बना रहे हैं। यूजर्स फोन लेना तो चाहते हैं लेकिन नोकिया को उम्मीदों पर फिट नहीं पा रहे हैं। आगे हमने ऐसे ही कुछ बिंदुओं के समेटा है जिनमें अगर कुछ सुधार हो जाए तो भारतीय यूजर्स का Nokia पर फिर से पहले वाला भरोसा कायम हो जाएगा।
बड़ी रैम की कमी
Nokia जब भी कोई नया फोन लॉन्च करना है तो अमूमन उसमें 3 जीबी या 4 जीबी की रैम मैमोरी देखने को मिलती है। वहीं दूसरी ओर चीनी ब्रांड्स उसी बजट के आस पास 6 जीबी रैम से लेकर 8 जीबी रैम तक अपने फोंस में उपलब्ध कराते हैं। भारतीय उपभोक्ता 15,000 रुपये तक के बजट में 4 जीबी से कम रैम को घाटे का सौदा मानते हैं। और यही वजह है कि इंडिया में Nokia को लेकर बेहतर ऑप्शन की तरह नहीं देखते हैं। बेशक फोन का प्रोसेसर या जीपीयू चीनी ब्रांड की तुलना में अधिक दमदार हो, लेकिन बड़ी रैम इंडियन यूजर्स के लिए बेहतर परफॉर्मेंस की निशानी बन गई है। ऐसे में नोकिया ब्रांड के मिड बजट फोन में 6 जीबी या 8 जीबी की रैम न होना नोकिया फैन्स को निराश करता है।
बैटरी की पावर कम
आजकल स्मार्टफोंस में 4,00एमएएच व इससे अधिक की पावर आम हो चुकी है। पिछले दिनों में Samsung और Realme ने कम कीमत पर 6,000एमएएच बैटरी वाले फोन लाकर इस सेग्मेंट को नई दिशा में भी मोड़ दिया है। लेकिन इतना सब होने के बावजूद Nokia इस रेस में अछूता ही नज़र आ रहा है। हैरानी की बात है कि इस वक्त भारत में कोई भी ऐसा नोकिया स्मार्टफोन नहीं है जिसमें 5,000एमएएच की बैटरी दी गई हो। वहीं दूसरी ओर चीनी कंपनियां 10,000 रुपये से भी कम कीमत पर 5,000एमएएच बैटरी वाले फोन लॉन्च करती है। Nokia स्मार्टफोंस में कम एमएएच पावर की बैटरी होना कंपनी के फैन्स को निराश करता है और यह भी एक बड़ी वजह है कि जब भारतीय यूजर नया फोन लेने की सोचते हैं तो नोकिया को किनारे कर देते हैं।
सीमित मॉडल्स
एक ओर जहां चीनी कंपनियों लगभग हर महीनें कोई न कोई नया स्मार्टफोन भारतीय बाजार में उतारती रहती है। वहीं ठीक के इसके विपरीत Nokia कंपनी पूरे साल में गिनेचुने मोबाइल फोन ही इंडिया में लॉन्च करती है। अन्य ब्रांड्स को देखें तो चीनी कंपनियों के स्मार्टफोंन की कई सीरीज़ बाजार में मौजूद है जो हर प्राइस रेंज व बजट में उपभोक्ताओं को चुनने के अवसर प्रदान करती है। लेकिन Nokia फोन के लिमिटेड मॉडल्स यूजर्स की चुनने की इच्छा को ही सीमा में बांध देते हैं। इंडियन यूजर्स कोई भी सामान खासकर की मोबाइल फोन लेने से पहले कई तरह के आस्पेक्ट को परखते हैं और ऐसे में नोकिया के सीमिड मॉडल्स उन्हें दूसरी कंपनी व ब्रांड की ओर जाने के लिए मजबूर कर देते हैं।
कीमत
Nokia अपने स्मार्टफोंस को भारत में वाजिब दाम पर ही लॉन्च करती है। कंपनी के अधिकांश फोन मिड बजट में उतारे जाते हैं जो ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए उपलब्ध होते हैं। यह कहना तो सही नहीं होगा कि नोकिया स्मार्टफोन महंगे होते हैं। लेकिन बाजार में मौजूद अन्य ब्रांड्स व चीनी कंपनियों के मोबाइल्स की कम कीमत Nokia के प्रोडक्ट्स को अन्यों के महंगा बना देती है। जो फीचर्स उपभोक्ताओं को 8,000 से 10,000 रुपये के बीच मिली जाते हैं उनके लिए इंडियन यूजर्स 15,000 रुपये खर्च करना पसंद नहीं करते हैं। जो लोग Nokia ब्रांड के लिए अधिक पैसा खर्च करने के लिए तैयार भी रहते हैं उन्हें अधिक रकम लगाते के साथ ही स्पेसिफिकेशन्स से भी समझौता करना पड़ रहा है।
ऑफ्टर सेल सर्विस की शिकायत
Nokia यूजर्स का कहना है कि फोन खरीदने के बाद यदि वह खराब हो जाता है तो उसे ठीक कराने के लिए सर्विस सेंटर के कई चक्कर काटने पड़ते है। वारंटी में होने के बावजूद फोन सर्विस सेंटर पर दे तो दिया जाता है लेकिन उसे ठीक होकर वापिस मिलने में एक महीने तक का समय निकल जाता है। आज जब 1 दिन भी बिना फोन के रहना मुश्किल है ऐसे में अपने खुद के फोन के ठीक xकराने के लिए 1 महीने तक का इंतजार हर किसी का नागवार ही गुजरेगा। यूजर्स के अनुसार Nokia की ऑफ्टर सेल सर्विस ठीक नहीं है और सर्विस सेंटर्स पर लचर व्यवस्था है। यह एक बड़ी वजह है कि जो लोग नोकिया का फोन यूज़ कर रहे हैं, वह लोग दूसरों को Nokia फोन न खरीदने की हिदायत देते हैं।
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