Skip to main content

Solar Eclipse 2020: क्या सूर्य ग्रहण खत्म कर देगा कोरोना वायरस? जानें क्या कहता है विज्ञान



इस साल का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2020) लग चुका है. यह वलयाकार या कंकण सूर्य ग्रहण है. भारत के अलावा कई अन्य देश इस खूबसूरत खगोलीय घटना के गवाह बने हैं. इस सूर्य ग्रहण को 'रिंग ऑफ फायर' भी कहा जा रहा है. लेकिन इन सब के बीच भारतीयों के मन में केवल एक ही सवाल है- क्या यह सूर्य ग्रहण कोरोना वायरस का खात्मा कर पाएगा. यहां तक कि लोगों ने गूगल पर सबसे ज्यादा यही सर्च किया है कि क्या सूर्य ग्रहण का शक्तिशाली प्रभाव कोरोना वायरस को खत्म करने में सक्षम है. आइए जानते हैं क्या कहता है विज्ञान...

सूर्य ग्रहण कब लगता है?

सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है. इस समयावधि में, चंद्रमा सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर आने से रोकता है और चंद्रमा की पृथ्वी पर जो छाया पड़ती है उसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

सूर्य ग्रहण को कोरोना वायरस से जोड़कर क्यों देखा जा रहा है?

चेन्नई के एक वैज्ञानिक ने अजीबोगरीब दावा पेश किया है जिसके मुताबिक़, कोरोना वायरस के प्रकोप और 26 दिसंबर को होने वाले सूर्य ग्रहण के बीच संबंध हैं.

परमाणु और पृथ्वी वैज्ञानिक डॉ. केएल सुंदर कृष्ण ने एएनआई को बताया कि विखंडन ऊर्जा (fission energy) के कारण सूर्य ग्रहण के बाद निकलने वाले पहले न्यूट्रॉन के उत्परिवर्तित कण परस्पर क्रिया का एक परिणाम हो सकता है. उन्होंने कहा कि "सौर मंडल में नए संरेखण (new alignment) के साथ ग्रह संबंधी गठजोड़" है, जो सूर्य ग्रहण के बाद हुआ और इसके बाद ही कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ.

कृष्ण ने भी एक संभावित सिद्धांत भी पेश किया है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई. उन्होंने एएनआई को बताया कि वायरस ऊपरी वायुमंडल से आया है, जहां 'अंतर-ग्रह बल परिवर्तन' (inter-planetary force variation) हुआ है. न्यूट्रॉन ने हलचल शुरू की जिसके परिणामस्वरूप ऊपरी वायुमंडल में जैव-परमाणु संपर्क में आया. उनके अनुसार यह जैव-परमाणु संपर्क, कोरोना वायरस का स्त्रोत हो सकता है.

हालांकि, यह वास्तव में विज्ञान पर आधारित नहीं हो सकता है. वास्तव में, कोरोनो वायरस और सूर्य ग्रहण के बीच का एकमात्र संबंध सिर्फ सूर्य है. न्यू नोवल कोविड 19 जिस वायरस के समूह से संबंधित है उसे कोरोना वायरस कहा जाता है. 'कोरोना,' का अर्थ है 'क्राउन' यानी कि ताज.

टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1986 में जिस वैज्ञानिकों ने 'कोरोना वायरस' शब्द का इस्तेमाल तब किया जब माइक्रोस्कोप के नीचे वो जिस वायरस का परीक्षण कर रहे थे, वो सूर्य के कोरोना जैसा दिखाई पड़ रहा था, वह वायरस ठीक वैसा ही दिख रहा था जैसा कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य के चारों तरफ कई गैसों की वजह से क्राउन जैसा स्ट्रक्चर दिखाई देता है.

नासा (NASA) ने भी इसका इसी तरह वर्णन किया है:
सूर्य का कोरोना सूर्य के वातावरण का सबसे बाहरी हिस्सा है. कोरोना आमतौर पर सूर्य की सतह के उजले प्रकाश से छिपा होता है. विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किए बिना इसे देखना मुश्किल है. हालांकि पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कोरोना को देखा जा सकता है.

कोरोना वायरस को लेकर यह मिथक भी था कि गर्मी के मौसम में कोरोना वायरस मर जाएगा. हालांकि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इस बात का खंडन किया है. हालांकि इस सौर कोरोना के पृथ्वी पर कोरोनावायरस को प्रभावित करने का एकमात्र संभव तरीका है, अगर वे संपर्क में आए - जैसा कि होने संभव नहीं है, क्योंकि सूरज 152.02 मिलियन किलोमीटर से अधिक दूरी पर हैं.

कोरोना वायरस को मारने का एकमात्र वैज्ञानिक तरीका अब तक यही है कि हैंड-सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करके साबुन और पानी के साथ 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को धोना है, सतहों को कीटाणुरहित करना है जो किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आ सकते हैं जो बीमारी का वाहक हो सकता है. मास्क पहनना, और पर्सनल हायजीन का ख्याल रखना है, अपने चेहरे को अक्सर छूना नहीं है, साथ ही अन्य लोगों थोड़ी दूरी बना कर रखनी है ताकि संक्रमण को रोका जा सके. सूर्य ग्रहण कोरोना वायरस को नहीं कर सकता. वास्तविकता में यह पूरी तरह से आपके हाथों में है.


Techno Anoop Blog पर सबसे पहले updates पढ़ने के लिए हमें यूट्यूबफेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें.

Comments

Popular posts from this blog

'नमस्ते' के साथ भारत में लॉन्च हुआ एपल का पहला ऑनलाइन स्टोर

Apple Online Store India: भारत में बढ़ते ऑनलाइन शॉपिंग के क्रेज को देखते हुए एपल ने अपने ऑनलाइन स्टोर को भारत में लॉन्च आखिरकार लॉन्च कर दिया है। एपल के ऑनलाइन स्टोर का डोमेन https://www.apple.com/in/shop है। अब आप एपल के प्रोडक्ट फ्लिपकार्ट, अमेजन की बजाय सीधे तौर पर एपल के स्टोर से ही खरीद सकते हैं। एपल के ऑनलाइन स्टोर पर आप अपने पुराने फोन को एक्सचेंज करके भी नया आईफोन ले सकते हैं, हालांकि एक्सचेंज के लिए कुछ पुराने फोन को ही लिस्ट किया गया है। मसलन यदि आपके पास पुराना iPhone XS Max है तो इसकी एक्सचेंज वैल्यू 35,000 रुपये तक मिलेगी, वहीं यदि आपके पास OnePlus 7 है तो यह रकम 15,655 रुपये हो जाएगी। एपल स्टोर से खरीदे गए सभी प्रोडक्ट की डिलीवरी 72 घंटों के अंदर होगी। एपल के इस स्टोर पर कंपनी के सभी प्रोडक्ट मिलेंगे। भारत में एपल के पहले ऑनलाइन स्टोर के बारे में कंपनी के सीईओ टिम कुक ने ट्वीट करके जानकारी दी थी। एपल के इस ऑनलाइन स्टोर से यूजर्स आईफोन, आईपैड, एपल वॉच, मैकबुक और एपल टीवी जैसे प्रोडक्ट खरीद सकेंगे। कंपनी के मुताबिक इस ऑनलाइन स्टोर में यूजर्स को दुनियाभर में मौजूद एपल स्टोर ...

Thomson ने तीन नई वॉशिंग मशीन भारत में की लॉन्च, बजट रेंज में है कीमत

इलेक्ट्रॉनिक कंपनी Thomson ने भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए 6.5 किलोग्राम, 7.5 किलोग्राम और 10.5 किलोग्राम क्षमता वाली तीन नई वॉशिंग मशीन लॉन्च की हैं। इनमें पहली दो टॉप-लोड मॉडल है, जबकि तीसरी फ्रंट-लोड मॉडल है। खास बात यह है कि तीनों वॉशिंग मशीन को भारतीय यूजर्स के हिसाब से तैयार किया गया है और इन्हें 5-स्टार की रेटिंग मिली है। तो आइए जानते हैं Thomson की नई वॉशिंग मशीन की कीमत और स्पेसिफिकेशन के बारे में विस्तार से... Thomson की नई वॉशिंग मशीन की कीमत कंपनी ने नई वॉशिंग मशीन के 6.5 किलोग्राम वाले मॉडल की कीमत 11,499 रुपए और 7.5 किलोग्राम वाले मॉडल की कीमत 12,999 रुपए रखी है। वहीं, इसके 10.5 किलोग्राम वाले मॉडल की कीमत 22,999 रुपए है। ग्राहकों को तीनों वॉशिंग मशीन पर 2 साल की वारंटी के साथ इनकी मोटर पर 5 साल की वारंटी मिलेगी। वहीं, तीनों वॉशिंग मशीन की बिक्री 1 सितंबर से ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट पर शुरू होगी। Thomson की टॉप-लोड वाली वॉशिंग मशीन के फीचर्स Thomson की 6.5 किलोग्राम और 7.5 किलोग्राम क्षमता वाली वॉशिंग मशीन में सिक्स एक्शन Pulsator वॉश फीचर दिया गया है, जिस...